Instruction : 1971 के भारत-पाक युद्ध में समुद्र में जीत हासिल करने में भारतीय नौसेना द्वारा निभाई गई निणार्यक भूमिका की याद में प्रति वर्ष 04दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है | यह एक ऐसा अवसर है जब हम अपने शहीदों को श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं तथा अपने सेवानिवृत्त सैनिकों और युद्ध-विधवाओं के बलिदान को याद करते हैं | इस दिन भारतीय नौसेना राष्ट्र की निरंतर सेवा के प्रति अपनी वचनबद्धता और निष्ठा को दोहराती है | भारत की समुद्री शक्ति के प्रमुख उपादान और अभिव्यक्ति के रूप में समुद्री अधिकार-क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा की निगरानी और उसमें बढोत्तरी के लिए भारतीय नौसेना एक अहम भूमिका का निर्वाह करती है अधिकांशत: जनता की नजरों से दूर ‘खामोशी के साथ काम करने वाली इस सेना’ के आकार और क्षमता में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वृद्धि हुई है, जो सतत रूप से बढ़ते इसके कार्यक्षेत्र तथा राष्ट्रीय सुरक्षा में इसके बढ़ते महत्व के अनुरूप है | नौसेना की सक्रियात्मक गतिविधियों में तदनुसार संगत विस्तार हुआ है तथा इसमें हिंद महासागरीय क्षेत्र तथा उससे परे के क्षेत्रों का भी समावेश हो गया है | यह जानकर शुख्द अनुभूति होती है कि नौसेना हमारी विस्तृत समुद्री सीमाओं की निरंतर चौकसी कर रही है और उनमे पेश आने वाले खतरों और चुनौतियों का हमेशा तेजी से और पूरी दक्षता के साथ मुकाबला किया है | समुद्री डकैती की रोकथाम, प्राक्रतिक आपदाओं और मानवीय त्रासदी के दौरान तत्काल सहायता उपलब्ध कराने में भारतीय नौसेना की अनवरत प्रतिवद्धता वास्तव में सराहनीय है | मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे समर्पित और निष्ठावान नौसेना कार्मिक राष्ट्र द्वारा उन्हें सौंपे गए दायित्वों को पूरा करने के लिए सतत प्रयास करते रहेंगे |(From Ques 1 to Ques 5)
Question
1
:
‘समावेश’ शब्द में कौन-सी संधि है?
1. गुण 2. वृद्धि 3. अयादि संधि 4. दीर्घ संधि
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Instruction : मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं – रिक्शेवाले, मजदूर, फेरीवाले, कबाड़ी वाले। आना-जाना लगा ही रहता है । लोग कहते हैं – “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदगी फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है ।” मैं उनकी बातों को हल्के में ही लेता हूँ । मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं ।अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते हैं और खाकर चले जाते हैं । ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग हैं जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए हैं । ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं । लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का स्वर नहीं आया । अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबल खाती है । असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है । मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ । बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है । खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है । आज भी उस मिट्टी को झाड़झुड कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता । वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेरे भीतर बसी हुई है । इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं । इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता । दुसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दुसरे के दुःख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं । ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी प्रतीत नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं ।कल के गुस्से को अगले दिन धुल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।(From Ques 6 to Ques 10)
Question
6
:
“इस दुनिया में कहा-सुनी होती है” – ‘इस दुनिया’ का संकेत है :
1. गाँव से शहर आ बसे गरीब 2. शहरसेगाँव आ बसे मजदूरों की दुनिया 3. लेखक को उकसाने वाला पड़ोस 4. अमीर किंतु अशिष्ट लोग
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