अपठित गद्यांश on हिंदी भाषा related Questions and Answers - Page 2

Instruction : गांधी चलती-फिरती कक्षा भी लगाया करते थे। अपने छोटे छोटे लड़कों को घर पढ़ाने के लिए गांधी समय नहीं निकाल पाते थे, इसलिए दफ़्तर जाते समय बच्चे अपने बापू के साथ हो लेते थे। वे प्रति दिन पाँच मील पैदल चलते-चलते कहानी के रूप में गुजराती साहित्य, कविता और अन्य विषयों का ज्ञान प्राप्त किया करते थे। बच्चों को स्कूल भेजने के सवाल पर झंझट उठ खड़ा हुआ था। अंग्रेजों के स्कूल में भारतीय बच्चों को दाखिला नहीं मिलता था। गांधी को विशेष छूट मिल सकती थी। किंतु जो उनके सब भारतीय भाईयों को न मिले, उन्होंने ऐसी सुविधा नहीं ली। गांधी अपने बच्चों को अंग्रजी स्कूलों में भेजकर मातृभाषा के बजाय अंग्रेजी और अंग्रेजियत नहीं सिखाना चाहते थे। कुछ दिनों के लिए एक अंग्रेज महिला ने उनके बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाई और बाकी विषय उन्होंने खुद पढ़ाए। अपने घर में रहने वाले अंग्रेज मित्रों तथा आने-जाने वालों के संपर्क में उनके बच्चों ने अंग्रेजी बोलने का अच्छा अभ्यास कर लिया था। फिनिक्स में गांधी ने आश्रमवासियों के बच्चों के लिए एक पाठशाला खोली। गांधी स्वयं उसके प्रधान शिक्षक थे और अन्य साथी सहशिक्षक। गांधी जो काम स्वयं नहीं कर पाते थे उसे दूसरों को करने का उपदेश नहीं देते थे। उनकी मान्यता थी कि जो शिक्षक स्वयं भीरू और अनियमित होगा वह विद्यार्थियों को साहस और नियम पालन नहीं सिखा पाएगा। शिक्षक को अपने विद्यार्थियों के समझ आदर्श रूप होना चाहिए। उन्हें जब भी समय मिलता, वह बहुत कुछ पढ़ डालते और कोई नहीं बात सीख लेते थे। पैंसठ साल की आयु में जेल में रहते हुए उन्होंने पहली बार आकाश में ग्रह-नक्षत्र को पहचानना सीखा था।(From Ques 11 to Ques 15)
Question 11 : ‘समझ’ का अर्थ है
1. समझदार होना
2. सामने
3. पीछे
4. समकक्ष
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Question 12 : इनमें से कौन सा यौगिक शब्द नहीं है?
1. अनियमित
2. भारतीय
3. आदर्श
4. पाठशाला
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Instruction : विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अतिशयोक्त्ति नहीं होगी। विद्यार्थी काल मे बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं जीवन-भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ बन जाती है तो जीवन सुदृढ़ और सुखी बन जाता है। यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसका स्वास्थ्य सुंदर बनता है। यदि मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारंभ से सुंदर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुन्दर पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रह कर वे सभी गुण आ जाने आवश्यक हैं, जिनकी कि विद्यार्थी को अपने जीवन में आवश्यकता होती है।(From Ques 16 to Ques 20)
Question 16 : ‘संसार को सौरभ’ देने का अर्थ है
1. संसार में सुगंध फैलाना
2. संसार को बेहतर बनाना
3. संसार में पेड़ लगाना
4. संसार को सुगंधित द्रव्य देना
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Question 17 : गद्यांश में आदर्श विद्यार्थी के किन गुणों की चर्चा की गई है?
1. नियमावली का पालन
2. ज्ञान प्राप्ति हेतु ध्यान की आवश्यकता की
3. नियमन
4. व्यायाम
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Question 19 : गद्यांश में ‘वृक्ष’ किसे कहा गया है?
1. पेड़ को
2. विद्यार्थी को
3. जीवन को
4. समय को
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